Header Ads

सदगुरू कबीर जयंती | sadguru Kabir jayanti

 


प्राय: सभी समस्त  भारतिय लेखक एवं कुछ विदेशी लेखक भी और कबीरपंथ मानता है कि-- कबीर साहब का जन्म विक्रम संवत 1455 में और शरीरान्त 1575 में हुआ। इस  प्रकार उनकी पुरी आयु एकसो वीस वर्ष की रही।

जिस तरह माँ  सीता के मात-पिता का पता नहीं चलता, उसी तरह  श्री सद्गुरु कबीर के मात-पिता का पता नहीं चलता। जैसे माँ सीता शिशु रुप में खेत से पाई गई थी, ठीक उसी तरह  श्री कबीर साहब काशी के लहरतारा तालाब के  किनारे से पाये गये थे।

श्रद्धालु लोगों ने यह  दोनों के जीवन में   चमत्कारिक बातें   जोड़कर अलौकिक   बताने का प्रयास किया। लेकिन ऐसा करना सत्य का अपलाप करना है ।  भले ये दोनों के  मात-पिता का पता न  चले, लेकिन यहाँ एक  बात ध्यान देने योग्य हैं  कि--हर इन्सान माँ-बाप  से पैदा होते है, इसलिए   ये दोनों किसी माँ-बाप से पैदा हुए होंगे, इसमें   कोई दो मत नही।


सद्गुरु कबीर साहेब का अवतरण जीस युग में  हुआ उसको मध्यकालीन युग कहते है। उस समय धर्म और समाज धिरे-धीरे संकीर्ण होते जा रहे थे। जातिय भेदभाव और सांप्रदायिक उन्माद   को लेकर राग-द्वेष  बढ़   रहे थे। हिन्दु और  मुसलमान तथा ब्राह्मण  और शूद्र के बीच में   गहरी खाईयों होती जा  रही थी। सामान्य जनता का हर तरह से शोषण हो रहा था। यह विषमता क्रांति का आह्वाहन करती थी।


 सौभाग्य से उसी  समय क्रान्ति का उदघोष करने वाले महा कवि कबीर साहेब अपनी प्रखर प्रतिभा, अटूट साहस, पूर्ण निर्भरता एवं अजोड  व्यक्तित्व लेकर अवतरित हुए। उन्होंने रुढिबद्ध धार्मिक सिद्धांत और  सामाजिक अंधविश्वासों   पर खुब जोर से कड़ी   आलोचना की। स्वस्थ  मानवता का विकास के  लिए समाज को निर्भिक होकर ललकारा। और  सत्य को समझने के लिए   आजीवन कटिबद्ध रहे।  उनकी दृष्टि में सत्य ही  सर्वोपरी था। सत्य ही  उनका साधन था और  साध्य भी।


श्री कबीर साहेब पहले   भारतवासी है ; जिन्होंने   हिन्दु और मुसलमान   दोनों के लिए बल्कि  सारी मानवजाति के लिए एक सामान्य धर्म का निर्भीकता के साथ  उपदेश दिया।

श्री कबीर साहेब समाजचेता कवि थे। वे जन कवि थे। वे जन-जन की पीड़ा से  दुखीत होते थे।

श्री कबीर साहेब सत्य के पुजारी थे। उनके सत्य ने न तो कभी दबने का प्रयत्न किया और न कभी उन्हों ने उसे दबाने का। सत्य उनका गुरु था। वे अपने को सत्य से भिन्न नहीं समझते थे। उनकी आत्मा सत्यरुप थी। उन्हों ने सत्य का मोती पाया था और सत्यरुपी मोती उनकी काव्य की माला का आभूषण रहा। 

श्री कबीर साहाब परख की कसौटी पर कसे हुए   सच्चे दर्शन के जन्मदाता थे। सत्य तो थे ही, महान सद्गुरु भी थे।


श्री कबीर साहेब में   आत्मविश्वास इतना  अधिक है कि वह दंभ  का पर्याय जान पड़ता है पर है नहीं। सच्ची  आत्मा और साफ दिल  से निकल ने वाला  स्वाभाविक स्वर है।

श्री कबीर साहेब का रास्ता प्रेम का रास्ता है,  घृणा का नहीं। वे  खरी-खरी बातें सुनाते हैं राह पर लाने के लिए। श्री कबीर साहेब का प्रेम पूरी मानवजाति के लिए है। उनकी चिंता पूरे मनुष्य समुदाय के हित की चिन्ता है।

श्री कबीर साहेब का संदेश सत्यज्ञान एवं  मानवप्रेम का एक बड़ा   खजाना है, जो सदा सब मानव-जाति के लिए उपयोगी रहेगा।

श्री कबीर साहेब ने जो कुछ भी कहा अनुभव की तुला पर तौल कर कहा। कोई कल्पना के प्रवाह में बहकर नही।


श्री कबीर साहेब किसी के खिलाफ नहीं थे। यदि खिलाफ थे तो   अंधविश्वास, पाखंड  एवं असत्य के, चाहे वह वेद हो या कुरान। साहेब ने आंख मूंदकर कहीं भी उनका समर्थन नहीं किया है।

श्री कबीर साहेब माया से बचने के लिए किसी प्रभू की कृपा नहीं; किन्तु विवेक विचार की  आवश्यकता पर भार देते है।

श्री कबीर साहेब का विरोध करने वाले शुक्लजी ने

हिन्दी साहित्य" मैं  श्री कबीर साहेब की प्रखर प्रतिभा को देखकर प्रशंसा की है।यह श्री कबीर साहेब की सबसे बड़ी विजय है।

श्री कबीर साहेब की बुद्धि अनुभव को स्वीकार करती थी। इसलिए वह कभी भी शास्त्रचर्चा से परास्त नहीं हुई।


किसी का पक्षपात न करना, सबके हित की बात कहना, जगत से निरपेक्ष रहना, किसी की लल्लो-पत्तों न  करना, वर्ण, आश्रम तथा नाना संप्रदायों की  गलतियों पर क्षमा न  करना, जो सत्य की  प्राप्ति में विघ्न उपस्थित करें ऐसे किसी की मर्यादा न मानना--यही सब श्री कबीर साहेब का  आकर्षण का केन्द्र बना रखे है।


कबीरपंथी कहलाने वाले श्री कबीर साहेब को कबीरपंथ की डिबिया में नहीं बन्द कर सकते।वे निर्मल, निरपेक्ष, बेलाग, अद्वितीय थे। वे पूरी मानवता के लिए रोते थे। अवतार और पैगम्बर बनकर नहीं।इस्लामी किताब एवं खुदाई पैगाम लाकर नहीं; शुद्ध मनुष्य   बनकर वास्तविकता की बात कहकर और  अस्तित्व की व्याख्या   करके।

श्री कबीर साहेब अपने में एक इतिहास है। अभी बहुत कुछ समझने के बाद ही हम उनकी पूर्णता से परिचय पा सकेंगे।


आप सबको हमारी तरफ से कबीर जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बहुत बहुत बधाई🙏🌹

साहेब बंदगी   साहेब बंदगी   साहेब बंदगी


कोई टिप्पणी नहीं

Thanks for feedback

Blogger द्वारा संचालित.