गौतम बुद्ध का जीवन परिचय...
Biography of Gautam Buddha.
गौतम बुद्ध के पिता का नाम
शुद्धोधन था । वे
कपिलवस्तु के राजा थे । बात उस समय की है, जब गौतम बुद्ध का जन्म भी नही हुआ । राजा शुद्धोधन के कोई संतान नहीं थी । इसी कारण संतान प्राप्ति की चाह में वे सदैव विचारमग्न रहते है। एक बार रानी को एक स्वपन आया, तो रानी ने राजा से स्वपन के बारे बताया तो राजा ने ज्योतिषी को बताया ज्योतिषी ने उनके यहां यशस्वी पुत्र रत्न का जन्म होगा तो उनकी प्रसन्नता की कोई सीमा न रही। राजज्योतिषी की घोषणा ने जैसे राजा रानी और प्रजा के उपर से चिंता की कालिमा को समाप्त कर दिया था। राजमहल में छाया सन्नाटा धीरे धीरे सिमटने लगा। ज्यों ज्यों रानी का गर्भकाल पूर्ण होने की ओर अग्रसर हो रहा था, त्यो त्यो राजमहल में प्रसन्नता बढ़ती जा रही थी। उस काल की प्रथा के अनुसार रानी अपने प्रथम शिशु को अपने माता पिता के गृह पर ही जन्म देती थी। इसे अत्यंत शुभ माना जाता था। ऐसा ही विचार कर रानी को उनके माता पिता के पास भेजने को व्यवस्था को गई, ताकि वे प्रथम शिशु को वही जन्म दे सके। धीरे धीरे रानी का यह काफिला आगे बड़ा जा रहा था की लुंबिनी वन के निकट रानी को तीव्र प्रसव पीड़ा होने लगी। परिचारिकाओ के कहने पर रथ को
लुंबिनी वन में ही एक उचित स्थान देखकर रोक दिया गया।
लुंबिनी वन का कोना कोना जैसे पूर्णिमा की शीतल चांदनी में अपनी मधुरिमा के साथ शोभायमान हो रहा थे।
प्रकृति द्वारा निर्धारित शुभ घड़ी और शुभ पलों में रानी ने एक सुंदर स्वस्त शिशु को जन्म दिया। शिशु की शुभ सूचना अविलंब कपिलवस्तु भेज दी गई।
कपिलवस्तु में राजा के हर्ष की सीमा न थी। पूरा राजमहल विभिन्न प्रकार के मोतियों मणियों और दीपमालाओ से सज्जित किया गया।
राजा ने पुत्र प्राप्ति से प्रसन्न होकर खुले हाथों से दान दिया।
राजा ने अपनी प्रिय पत्नी और नवजात शिशु का बड़े हर्ष के साथ स्वागत किया।
एक दिन असित ऋषि दरबार में पधारे । राजा ने ऋषि का यथायोग्य स्वागत सत्कार किया और नवजात शिशु को आशीर्वाद देने का आग्रह किया। ऋषि ने शिशु को आशीर्वाद दिया और कहा है राजन यह शिशु आगे चलकर आपके शाक्य वंश का नाम विश्व भर में फैला देगा।
Post a Comment