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आप अपने बच्चों मे सही आदतें डालना चाहते हैं तो शुरुआत बचपन से ही और ऐसे करनी होगी-Good habits in children.

आप अपने बच्चों मे सही आदतें डालना चाहते हैं तो शुरुआत बचपन से ही और ऐसे करनी होगी।
Good habits in children.



नींव जितनी मजबूत होती है मकान उतना ही मजबूत बनता है। इसी तरह आप अपने बच्चों को सही तरह से बड़ा करके उनमें सही आदतें डालना चाहते हैं तो आपको शुरुआत बचपन से ही करनी होगी।

बच्चे को किसी बात के लिए टोका, वो नहीं माना तो अकसर लोग कहते हैं कि 'बच्चा है, ठीक है उसे कर लेने दो/दे दो, बड़ा होकर खुद ही समझदार हो जाएगा।' इस स्थिति में हमें यह समझना होगा कि ये बच्चे इसी परवरिश में ही तो बड़े होंगे, फिर युवा होने पर उनसे बदलाव की उम्मीद कैसे की जा सकती है। भविष्य में वे कैसे व्यक्ति बनेंगे यह उनकी बचपन की आदतों से ही तय होगा। इसलिए 'बड़े होकर खुद सीख जाएंगे' कहने के बजाय बदलाव के क़दम हमें अभी उठाने होंगे।

आत्मनिर्भरता हो क़ायम

बच्चों को छोटी-छोटी समस्याओं से ख़ुद निकलने दें। जिन बच्चों को अपने निर्णय ख़ुद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, उन्हें बाद में हर चीज़ के लिए दूसरों के सहमति पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। उन्हें जिम्मेदारी सिखाने के लिए अपने काम ख़ुद करना सिखाएं।

खानपान हो सही

अगर हम संपूर्ण, पौष्टिक भोजन की जगह जंक फ़ूड चुनते हैं तो बच्चे भी ऐसा ही करेंगे और इस आदत को युवावस्था में भी आगे ले जाएंगे। अपने बच्चों को पौष्टिक खाना दें। यदि वे मना करें तो उन्हें अलग- अलग तरह से पौष्टिक खाने की आदत लगवाने और उस खाने के स्वाद से परिचित कराने का प्रयास करें ताकि बड़े होने पर उन्हें ये खाना खाने में परेशानी ना हो और वे जंक फूड से होने वाली बीमारियों से दूरी बना पाएं।

असफलता का ना हो डर

जब हम अपने बच्चों को परिपूर्ण/आदर्श होने के लिए प्रेरित करते हैं तो वे आगे जाकर असफलता से डरने लगते हैं और नए अनुभवों से बचते हैं। इसलिए उन्हें ये सिखाना जरूरी है कि हर बार सफल होना जरूरी नहीं है पर हर बार जरूरी है कोशिश करना और अपनी असफलताओं से सीखना।

नींद का समय हो तय

रोज सही समय पर न सोने पर बड़े होकर अनिद्रा और देर से नींद ना आने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें सोने से पहले लिखने या पढ़ने zz की आदत डालें। शुरुआत में जांचें कि वे ऐसा कर रहे हैं या नहीं, बाद में ये आदत उनके व्यवहार में ख़ुद आ जाएगी।

समय प्रबंधन की हो बुद्धिमत्ता

बच्चों के साथ मिलकर उनकी दिनचर्या तय करें। इसमें तय करें कि कब उन्हें अपना होमवर्क करना है, कब खेलना और रात में कितने बजे तक सो ही जाना है। ऐसा इसलिए क्योंकि शोध बताते हैं कि जिन बच्चों को होमवर्क, खेलने के समय और सोने के समय में संतुलन बनाना सिखाया जाता है, वे बड़े होकर काम के साथ-साथ रुचि और पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए समय निकालते हुए संतुलन बनाने में सक्षम हो जाते हैं।


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