शुभ अशुभ, भविष्य के प्रति सावधानी का संकेत है
दोहा > भरत नयन भुज दच्छींन फरकत बारही बार।
जानी सगुन मन हरष अति अति लागे करन विचार।।
अर्थात > भरत की दाहनी बुजा और आंख बार बार फड़क रही थी, जिसे शुभ शगुन जानकर उनके मन में अत्यंत हर्ष होने लगा। आज भी ऐसा माना जाता है की आंख फड़कने का संबंध शुभ अशुभ से होता है। किसका कोनसा अंग फड़कने का क्या संकेत होता है, इसका वर्णन सामुद्रिक शास्त्र में आता है। आंख या भुजा के फड़कने का विश्वास से जोड़े, अविश्वास से या अंधविश्वास से, ये आपके ऊपर है, लेकिन यह तय है की शरीर के हर अंग की हरकत सीधे मन पर प्रभाव डालती है और उससे हमारी मानसिकता बनती है। शुभ अशुभ एक मानसिकता बनती है। भविष्य के प्रति सावधानी का संकेत है।
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