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अपनी सफलताओं में परिवार को जरूर रखें

अपनी सफलताओं में परिवार को जरूर रखें...

आपका परिवार आपके अंदर है। परिवार के अंदर वो सारे रिश्ते हैं जो आपसे बड़े हैं, छोटे हैं। लेकिन हमेशा यह महसूस करिए कि हमारे अपने घर के लोग पूरी तरह से हमारे भीतर बसे हुए हैं। जब बाहर की दुनिया में हमें कोई उपलब्धि मिलती है तो कुछ लोग आशीर्वाद देते हैं, कुछ सहयोग देते हैं, कुछ प्रशंसा करते हैं, लेकिन ऐसे समय परिवार को मत भूलिए। क्योंकि परिवार ही है जिनकी आस्था और विश्वास से हम यहां तक पहुंचे है। आपके पास जो कुछ भी है वो हर उस सदस्य का दिया हुआ है जो आपके परिवार में आपसे जुड़ा है। श्रीराम के राजतिलक के समय तुलसीदासजी लिखते हैं- 'प्रथम तिलक बसिष्ट मुनि कीन्हा । पुनि सब बिप्रन्ह आयसु दीन्हा ॥ सुत बिलोकि हरषीं महतारी। बार बार आरती उतारी ॥' पहले मुनि वसिष्ठ ने तिलक किया। पुत्र को राजसिंहासन पर देखकर माताएं हर्षित हुईं और उन्होंने बार-बार आरती उतारी। इस पंक्ति का जो अर्थ है, वसिष्ठ मुनि ने आशीर्वाद दिया। ब्राह्मणों ने यशगान किया। लेकिन आरती तो माताओं ने उतारी। मां परिवार के केंद्र में होती है। इसलिए जब हमें इस संसार में सफलता मिलती है तो हमें नजर न लग जाए, हमारा कोई नुकसान न हो, सदैव हित बना रहे ऐसी दुआ परिवार के सदस्य देते हैं। इसलिए अपनी हर सफलता में परिवार को जरूर रखिएगा। आरती उतारने का यही मतलब है कि आपको किसी की नजर न लग जाए। और खासतौर पर तब जब आपकी दृष्टि अपने लक्ष्य पर हो, सफलता हासिल करने के लिए आप आगे बढ़ रहे हों। मार्ग दिखाने वाले दीप का प्राण है-तेल । दूसरे के बिना पहला निर्जीव है । यों तो सभी प्रशंसा दीप की करते हैं, पर विवेकी जानते हैं कि बिखरता उजाला और कुछ नहीं, तेल के तिल-तिल जलने का परिणाम है। इसलिए आप कही भी अपनी सफलताओं में वह सब जो आपकी सफलताओं में साथ थे, और अपनो को हमेशा रखें।

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