राजकुमार से संन्यासी बनने की कहानी -Gautam Buddha.
राजकुमार से संन्यासी बनने की कहानी -Gautam Buddha.
राजाज्ञा द्वारा ऐसा प्रबंध करा दिया गया कि मार्ग में कोई भी ऐसा कारुणिक या कष्टदायी दृश्य न दिखाई पड़े, जिससे राजकुमार सिद्धार्थ के हृदय पर कुप्रभाव पड़े। उस मार्ग पर युवा और सुंदर युवक-युवतियाँ खड़े हुए थे, जो राजकुमार के ऊपर पुष्प वर्षा कर रहे थे।
सहसा उस मार्ग से दूर एक अन्य मार्ग पर राजकुमार की दृष्टि पड़ी। वहाँ कोई वृद्ध व्यक्ति लाठी टेकता, कराहता हुआ धीरे-धीरे चल रहा था।
"छंदक!" सिद्धार्थ बोला, "वह व्यक्ति झुककर क्यों चल रहा है? उसके हाथ में डंडा क्यों है और वह इतना असुंदर क्यों है?"
छंदक ने एक क्षण उस वृद्ध व्यक्ति की ओर देखकर धीरे से कहा, “राजकुमार, वह व्यक्ति वृद्ध हो चुका है। अधिक आयु हो जाने के कारण उसका शरीर निर्बल होकर झुक गया है। इसी कारण वह लाठी का सहारा लेकर चलता है। आयु ने उसका चेहरा झुर्रियों से भर दिया है। इसी कारण वह असुंदर लगता है, अन्यथा वह भी कभी बहुत सुंदर रहा होगा। "
छंदक की बात सुनकर सिद्धार्थ बोला, “क्या सभी लोग वृद्ध हो जाने पर इसी प्रकार के हो जाते हैं?"
छंदक बोला, हां राजकुमार।
कुछ दूर चले तो उनकी आंखों के आगे एक रोगी आ गया। उसकी सांस तेजी से चल रही थी। कंधे ढीले पड़ गए थे। बांहें सूख गई थीं। पेट फूल गया था। चेहरा पीला पड़ गया था। दूसरे के सहारे वह बड़ी मुश्किल से चल पा रहा था। राजकुमार की नजरे उसपर पड़ी तो छंदक से पूछा इसे क्या हो गया? छंदक ने जवाब दिया, राजकुमार ये बीमार है इस वजह से इनकी ये हालत हो रही है।
एक बार जब राजकुमार सिद्धार्थ बगीचे की सैर पर थे तो उनको एक अर्थी मिली। चार आदमी उसे उठाकर लिए जा रहे थे। पीछे-पीछे बहुत से लोग थे। कोई रो रहा था, कोई छाती पीट रहा था, कोई अपने बाल नोच रहा था। इन दृश्यों ने सिद्धार्थ को बहुत विचलित किया। तब ये सब देखकर सिद्धार्थ छंदक से पूछे की इन्हे क्या हो गया ये सब ऐसे क्यों कर रहे है?
छंदक बोले राजकुमार इनके घर मृत्यु हो जिसे ये कंदो पर लेकर जा रहे है इनकी मृत्यु हो गई। राजकुमार सोच में पड़ गए और बोले क्या ये सबके साथ होता है।
छंदक बोला हां राजकुमार मृत्यु सबको प्राप्त होती है, यही सत्य है।" इस सत्य का परिचय पाकर राजकुमार सिद्धार्थ का अंतर्मन काँप उठा। और सोचने को मजबूर हो गए, कई बातों ने सिद्धार्थ के मन को विचलित कर दिया।
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