आइए 73वे गणतंत्र दिवस पर संकल्प ले, हमारा सुख सामूहिक सुख हो और दुख सामूहिक दुख।
देश जब आजाद हुआ तब हमारे पास अपना कोई सम्प्रभू
सविधान नहीं था। गणतंत्र दिवस इसलिए बहुत महत्वपूर्ण
है की आज ही के दिन सविधान लागू हुआ।
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान है।
मैं इसे मानव अधिकारों और कर्तव्यों का वैश्विक
दस्तावेज मानता हु। मानव अधिकारों की सुरक्षा की विश्वसनीय व्यवस्था कही पर है,
तो वह भारतीय संविधान में ही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
जी ने कहा था की कर्त्तव्यो के हिमालय से अधिकारों की
गंगा बहती है। गणतंत्र के इस अमृत महोत्सव पर आज
भारतीय संविधान को इसी दृष्टि से देखे और समझे जाने
की जरूरत है। संविधान आजादी की मर्यादा है।
पूरा देश आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान के अंतर्गत हर क्षेत्र में
नियोजित विकास के आधार पर देश में विकास की सुदृढ़
नीव रखी गई है। भारतीय संस्कृति से जुड़ा जो दर्शन है,
हमारी उदात्त जीवन परम्पराए है, संविधान उसे एक तरह
से व्याख्यायित करता है। मेरा मानना है की राष्ट कोई
भू -भाग भर नहीं, बल्कि अपने आप में विचार है।
देश को कोई संज्ञा में देखने का अर्थ ही है ऐसा राष्ट्र,
जिसने स्त्री -पुरुष मे, जाती और धर्म के आधार पर
मनुष्य -मनुष्य में किसी तरह का कोई भेद नहीं है। जहा
अनुभव और ज्ञान सहभागी है।
मैं यह मानता हु कि वास्तविक लक्ष्य तभी पूरा होगा जब
पक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को समानता और न्याय मिलेगा।
ये जरूरी है की हमारी नई पीढ़ी आत्मनिर्भर हो।
मानवीय मूल्यों से शिक्षित हो। हम सभी का कर्तव्य है की
आत्मनिर्भरता के और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में हम
पूरी तरह से जुट जाएं।
आइए आज गणतंत्र दिवस पर 'आजादी के
अमृत महोत्सव' पर राष्ट्र को ज्ञान और विकास के पथ
पर ले जाने के लिए हम सभी संकल्पबद्ध होकर प्रयास
करे। देश की उन्नति के लिए नवीन राहों का सृजन करे।
हमारा सबका सुख सामूहिक सुख हो और दुख भी
सामूहिक दुख हो। राष्ट्र के गौरव में ही हमारा गौरव हो।।
आप सबको हमारी तरफ से गणतंत्र दिवस की हार्दिक
सुभकामनाएं एवं बहुत बहुत बधाई 🙏🙏🙏
🙏जय हिंद जय भारत🙏
Jai hind 🙏🏻
जवाब देंहटाएंJai Hind
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