Header Ads

सुखी जीवन के लिए आशीर्वाद जरूर होना चाहिए | inspirational thoughts



"ध्यान रखिएगा" आजकल लोग एक दूसरे को यह
सुझाव बहुत दे रहे है। लेकिन यह सिर्फ सुझाव है,
समाधान नहीं। खुश रहने के लिए हमारे पास भीतरी
ताकत होनी चाहिए। और वो भीतरी ताकत क्या है
वह हम श्री राम के उदाहरण से समझते है..
श्री राम जी जीवन की हर गतिविधि में बहुत सजग
रहते थे। रावण पर विजय प्राप्त कर जब वे सीताजी
के साथ अयोध्या लौट रहे थे तो मार्ग के एक दृश्य
पर तुलसीदास जी ने लिखा -
दोहा >
सकल रिषिन्ह सन पाई असीसा,
चित्रकूट आए जगदीसा।
तह करी मुनिंह केर संतोषा,
चला बीमानु तहा ते चोखा ।।
सारे ऋषियो से आशीर्वाद पाकर रामजी चित्रकूट आए,
वहा मुनियों को संतुष्ट किया, फिर उनका विमान वहा
से आगे बड़ गया। यहां दो बातो पर ध्यान करे,
एक तो उन्होंने ऋषि मुनियों का आशीर्वाद लिया,
दूसरा उन्हें संतुष्ट किया। क्योंकि रामजी भी जानते थे
की आशीर्वाद ही एक समाधान है जिससे भीतरी ताकत
मिलती है, और हमारी सारी चेष्टाएं आप परिपक्व हो
जाती है, सरल हो जाती है। उसके बाद हम दूसरो को
संतुष्टि प्रदान कर सकते है। महामारी, मुसीबत के
विपरीत दौर में प्रयास करे की हमारे पास संतो का,
घर परिवार में बड़े बूढ़ों का आशीर्वाद जरूर मिले।
कहते है ना > जहा ना काम आए दवा,
वहा काम आये दुआ ।।

1 टिप्पणी:

Thanks for feedback

Blogger द्वारा संचालित.