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सफलता के लिए यह पहचान करना आवश्यक है।

 हकीकत को फसाना बनने में देर नहीं लगती और यह 

काम करता है हमारा चंचल मन। फसाना यानी कल्पित 

विचार, साहित्य। कल्पनाशीलता मनुष्य में होना चाहिए, 

लेकिन हवाई ख्याल खतरनाक है। कल्पना और हवाई 

ख्याल में फर्क है। कल्पनाशीलता आती हृदय व बुद्धि 

के मेल से और हवाई ख्याल आते है मन और बुद्धि के 

मेल से। इसलिए भविष्य के प्रति जब भी कोई योजना 

बनाए, कोई सृजन कर रहे हो तो कल्पनाशीलता जरूर 

रखे, लेकिन ध्यान रहे की कल्पना का संचालन मन द्वारा 

ना हो। अपनी कल्पनाशीलता को कभी मन के हत्थे 

मत चढ़ने दीजिए। मन की जानकारी एकत्रित करने का 

स्वभाव होता है, इसलिए इसलिए वह विस्तार लेता चला 

जाता है। लेकिन, जब आप हृदय से जुड़ते है तो हृदय 

गहराई में जाता है और वह ज्ञान मिलता है। इसे यू भी 

समझ सकते है की तैरना और डुबकी लगाना। यदि 

आप किसी नदी में तैर रहे है तो उसमे परिश्रम है,विस्तार 

है। बिलकुल वैसे ही जैसे मन जानकारी इकठ्ठी करता 

करता है। और यदि आप उसमे डुबकी लगा रहे हो तो 

हृदय की गहराई में जा रहे है। भीग अब भी रहे हो 

परिश्रम अब भी हो रहा है। अभी हमारे जीवन में दौर 

चल रहा है, यह विज्ञान और तकनीक का है। इस समय 

हमे बहुत ध्यान रखना है की बुद्धि कितने समय हृदय 

से जुड़े और कितने समय मन से। और यदि जोड़ बिगड़ 

गया तो विज्ञान और तकनीक के लाभ की जगह हानि 

अधिक उठा लेंगे। इसलिए जब कोई कार्य करो तो 

हृदय और बुद्धि के मेल को पहचान कर करे।

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