Header Ads

सिर्फ एक विचार हमारी पूरी जिंदगी को बदल सकता है।

दोस्तों हमारे विचार (thought) में वो ताकत होती है जो हमारी जिंदगी को सफल सकता है। सिर्फ एक विचार हमारी पूरी जिंदगी को बदल सकता है। हमारे और आपके विचारों से ही तो ऐसे नए नए खोज हुए है, जिनकी कभी कल्पना करना भी मुश्किल था। हमारे विचारों से ही तो आज दुनिया में टेक्नोलॉजी इतनी आगे पहुंच गई है। हमारे विचारों कि ही देन है, कि हम आज चाँद पर पहुंच चुके है। ऐसा नहीं की आपको ऐसे विचार न आते हो , बस उन विचारों पर अमल नहीं करते है। जिन्होंने उन विचारों के ऊपर अमल कर दिया , उसने कारनामा करके दिखा दिया। अपने विचारों के बलबूते ही लोग सफलता (success) हासिल करते है।  हमारी सकारात्मक विचारों (positive thoughts) के कारण ही हमें अपना लक्ष्य (Goal) हासिल होता है।

आपको मैं एक कहानी का जिक्र करना चाहूंगा । जिसके
एक विचार से पूरी जिंदगी बदल गई। 

1000 लोगो को मारने का प्रण लिया डाकू अंगुलिमाल ने, जिसे आप ने सुना ही होगा। राजा बिम्बिसार से उसका बैर था। राजा ने उसका कुछ छीन लिया था । अंगुलिमाल तो उसका बाद में नाम पड़ा। डाकू अंगुलिमाल  जितने लोगो को मारता उनकी एक अंगुली काट कर अपने गले में माला की तरह पहनता था। वह 999 लोगो को मार चुका था बस एक और लोग को मारकर अपना प्रण पूरा करने वाला था। वह जिस पहाड़ी वाले इलाके में रहता था वहां कोई आता जाता नहीं था। वहां के गांव वालो ने उस रास्बंते को ही बंद कर दिया था। वहां रास्ते पर एक बोर्ड भी लगा दिया जिसपर लिखा था- "कि आगे जाना खतरनाक है, यहां डाकू अंगुलिमाल रहता है, जिसने 1000 लोगो को मारने का प्रण लिया है और अब तक 999 लोगो को मार भी चुका है ।"
उसकी मां पहले कभी कभी उससे मिलने जाती थी लेकिन वह भी अब डर के मारे नहीं जाती थी। क्योंकि उसे भी डर लगने लगा था कि कहीं उसे ही मारकर अपना 1000 का प्रण पूरा न कर ले । उस इलाके पर वहाँ का राजा भी जाने से डरता था। उस रास्ते पर ना तो कोई गांव वाला और ना ही राजा जाता था।
एक घटना घटी। एक दिन महात्मा बुद्ध जी अपने एक शिष्य के साथ उधर से ही जा रहे थे, कि तभी उनके एक शिष्य ने बोर्ड को देखकर कहा-प्रभु इधर अंगुलिमाल डाकू रहता है । इधर से जाना खतरनाक होगा। इस पर बुद्ध जी ने जवाब दिया अगर मुझे नहीं मालूम होता तो नहीं जाता, परन्तु अब मालूम चल गया है, तो मैं अवश्य जाऊँगा। क्योंकि अंगुलिमाल को मेरी जरूरत है। वो साधु ही क्या जो रास्ता बदल दे। तुम चाहो तो वापस जा सकते हो परन्तु मैं उसी रास्ते पर जाऊंगा। इतना बोलकर बुद्ध उसी रास्ते पर आगे चल पड़ते है ।
जैसे ही दूर से अंगुलिमाल में अपनी तरफ किसी को आते देखा तो वो खुश हो गया, कि आज उसका प्रण पूरा हो जाएगा। इसे मारकर मैं अपना 1000 लोगो को मारने का प्रण पूरा कर लूँगा। लेकिन जैसे ही बुद्ध जी नज़दीक पहुंचे तो उनके तेज़ को देखकर अंगुलिमाल डाकू बोला इधर मत आओ साधु नहीं तो मारे जाओगे। बुद्ध जी बोले क्यों डरता है। डाकू अंगुलिमाल बोला मैं डर नहीं रहा हूं बल्कि मुझे खुशी होगी तुम्हें मारकर मैं 1000 वां अंगुली पूरा कर लूँगा। लेकिन बुद्ध जी के तेज़, मस्तानी चाल, चेहरे पर चमक से डाकू अंगुलिमाल डर गया था।
बुद्ध जी बोले मैं भी क्षत्रिय तू भी क्षत्रिय आज देखते है कौन किसको मारता है? इतना कहते कहते बुद्ध जी अंगुलिमाल के सामने जा पहुंचे। डाकू अंगुलिमाल बोला सन्यासी तू रुक जा। बुद्ध जी बोले मैं तो 50 साल पहले रुक गया था, अब तू रुक जा । अंगुलिमाल बोला सन्यासी तुम्हें डर नहीं लगता है। बुद्ध जी बोले किस बात का डर, आज मैं तुझे लेने आया हूं। अंगुलिमाल अपने हाथ में खड़ग निकालते हुए बोला मैं तुम्हे मार दूँगा। बुद्ध जी बोले मार दे लेकिन मेरी एक शर्त है। शर्त ये है कि इस पौधे की एक टहनी काट कर दिखाओ।
अंगुलिमाल शर्त मान कर पास के पेड़ की एक टहनी काट कर ले आया। बुद्ध जी मन ही मन मुस्कुराए कि ये इस अवस्था में भी मेरी बात मान रहा है। इसका मतलब इसमें सुधार की गुंजाईश है। जैसे ही अंगुलिमाल ने पेड़ की टहनी काटी बुद्ध जी ने आगे कहा अंगुलिमाल अब इस टूटे टहनी को जोड़ के दिखाओ। अंगुलिमाल बोला सन्यासी तुम पागल हो क्या? एक बार टहनी टूटने के बाद कभी जुड़ता भी है क्या? बुद्ध जी बोले मैं भी तो तुम्हें यही बताने आया हूं कि किसी को काटना बहुत सरल है, परन्तु जोड़ना बहुत मुश्किल । तुमने आजतक 999 लोगो को काट दिया। अब एक को जोड़ कर दिखा । 
इतना सुनते ही अंगुलिमाल के आंखो से आंसू बहने लगे। उसने अंगुलियों कि माला निकालकर बुद्ध जी के चरणों में डाल दिया । बुद्ध जी कुछ बिना बोले पलट गए और चलने लगे । क्योंकि उन्हें मालूम था कि अंगुलिमाल भी उनके पीछे पीछे जरूर आएगा और हुआ भी वैसा ही।

वह डाकू अंगुलिमाल एकदम बदल चूका था, क्योंकि उसका विचार बदल चुका था । बुद्ध जी के पीछे चलते हुए बोलने लगा- बुद्धम शरणम् गच्छामि। एक विचार ने एक डाकू को शन्यासी बना दिया । बाद में बुद्ध जी ने उस अंगुलिमाल को सन्यासी की उपाधि दी । राजा को जब खबर मिली तो वह बहुत प्रसन्न हुआ ।

जरा सोचिए कि एक डाकू 999 लोगो की हत्या करने के बाद भी सन्यासी बन सकता है । यह सिर्फ एक विचार के बदलने से संभव हुआ है। सिर्फ एक विचार के बदलने से अंगुलिमाल का पूरा जीवन ही बदल गया ।
दोस्तों आशा करता हूं ये आर्टिकल (article) आप लोगो को ज़रूर पसंद आया होगा। आप इससे बहुत कुछ सीख सकते है । अपने विचार को बदल कर अपने जीवन में कुछ नया कर सकते है । अपने जीवन को एक नया आयाम दे सकते है । अपने विचार बदल कर अपने जीवन में भूचाल का सकते है । One thought can change your life क्योंकि आपके सिर्फ विचार बदलने से आपकी दुनिया बदल सकती है । इस तरह से आप अपने जीवन में सफलता (success) और एक खुशहाल जीवन (Happy Life) को प्राप्त कर सकते है।  ये post पसंद आया हो तो अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें । कुछ सुझाव है तो कॉमेंट्स ज़रूर कीजिए।

4 टिप्‍पणियां:

Thanks for feedback

Blogger द्वारा संचालित.