Header Ads

Sadguru kabirdas mukhay granth | sadguru kabirdas main book

सदगुरु कबीर की वाणिया तो बहुत सुनी और पढ़ी होंगी।

उनके नाम से प्रचलित बहुत से पुस्तके है। परंतु उनकी 
समस्त वाणियों में बीजक सर्वाधिक प्रमाणीत है। 
बीजक ही ऐसा ग्रन्थ है जिससे कबीर साहेब का क्रांतिकारी 
स्वरूप पूर्णरूपेण उभरा है।

साखी > बोल तो अमोल है, जो कोई बोले जान।
          हिये तराजू तोलके, तब मुख बाहर आन।।

भावार्थ > बाते तो ऐसी ऐसी उत्तम उत्तम होती है की उनका
कोई मूल्य नहीं चुका सकता सकता, परंतु यदि बोलने का 
ढंग जाने तो। वाक्यशक्ति एक अद्भुत शक्ति है जो केवल 
मनुष्य को प्राप्त है। उसका सदुपयोग करने से बड़े बड़े काम 
बन जाते है और दुरुपयोग करने से काम भी बिगड़ जाते है।
रावण ने कठोर वचन बोलकर अपने भाई विभीषण को शत्रु 
बना लिया था और राम ने उससे मीठे वचन कह कर मित्र 
बना लिया था। 
इसलिए शब्दो को पहले हृदयरूपी तराजू पर तोलकर तब 
बात को मुख से बाहर निकलना चाहिए।

साखी > करू बहिया बल अपनी, छाड़ बिरानी आस।
          जाके आंगन नदिया बहे, साे कस मरे पियास।।

भावार्थ > सदगुरु कहते है की दूसरे की आशा छोड़ दो और 
अपने बाहुबल का भरोसा करो। जो व्यक्ति अपना काम
दूसरो के भरोसे रखता है उसका काम समय पर नहीं होता। 
जो काम अपने हाथो में रखता है वही प्रगतिशील है।
वही उन्नति कर सकता है

1 टिप्पणी:

Thanks for feedback

Blogger द्वारा संचालित.