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महामारी में हमें दो जगह से मजबूत रहना होगा।

महामारी की तीसरी लहर के बाद एक बदलाव का दौर 
आएगा। इस तीसरी लहर से हमे जो सोखने को मिला उस
पर पूरी पकड़ बनाकर चलिए। सबसे बड़ा बदलाव हमारे 
भीतर यह आना चाहिए की अब जो भी करे उसमे भ्रमित 
बिलकुल न हो। क्योंकि भ्रम अपने आपमें एक बहुत बड़ी 
बीमारी है। जो लोग भीतर से भ्रमित होते है, ज्ञान की रोशनी 
में भी भटक जाते है। इसलिए हर काम पूरी दृढ़ता के साथ 
किया जाना चाहिए। अब जीवन में बहुत बड़ा पक्ष सामने 
आने वाला है आर्थिक पक्ष। इस पर बड़े बड़ों को परेशानियों 
का सामना करना पड़ रहा है तो माध्यम वर्ग और उसके 
निचले वालो के लिए तो आर्थिक रूप से सुरक्षित रहना बहुत 
बड़ी चुनौती है।
दूसरा, उदासी का माहौल। इस महामारी के भय ने लगभग 
हर एक के जीवन में उदासी सी घोल दी है। डिप्रेशन अब 
अचानक इन्फेक्शन की तरह फेल सकता है। कुछ लोग 
दूसरो के सामने अपनी उदासी व्यक्त करते है, कुछ नही करते 
कुछ छुपा लेते है लेकिन नुकसान तो होगा ही। 
इसलिए जितना चाहे आर्थिक रूप से मजबूत और मानसिक 
रूप से प्रसन्न रहे। क्योंकि आर्थिक रूप से मजबूत रहना 
माध्यम वर्ग के लोगो के लिए अच्छी मानसिकता का रूप 
होता है। आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर इंसान की मानसिक 
स्थिति अच्छी रहती है, उन्हे हर आने वाले संकटों से लड़ने की 
हिम्मत रहती है, अगर मध्यम वर्ग के लोग आर्थिक स्थिति से 
मजबूत रहते है तो।
लेकिन जो आर्थिक रूप से, पहले से मजबूत है वह मानसिक 
स्थिति से मजबूत नहीं रहता। इसलिए उनको जरूरी है इस 
मानसिकता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए।

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